tag:blogger.com,1999:blog-8731856700529955607.post7507070159646409471..comments2023-10-24T15:42:49.821+05:30Comments on संसदनामा: मेरे शहर की स्त्रियांमुंहफटhttp://www.blogger.com/profile/08368420570289784107noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-8731856700529955607.post-71057678875064573332009-03-17T08:43:00.000+05:302009-03-17T08:43:00.000+05:30इसीलिए ये कभी नहीं मनातीं रक्षाबन्धन, करवा चौथ, अह...इसीलिए ये कभी नहीं मनातीं<BR/> रक्षाबन्धन, करवा चौथ, अहोई<BR/> चिंदी-चिंदी खोद डालीं हैं इन्होंने<BR/> अपने-अपने<BR/> अंधविश्वासों की जड़ें<BR/> तोड़ डाली हैं अपने पैरों की बेड़ियाँ<BR/> चाहे इन्हें कोई<BR/> कुलक्षिणी कहे या नयनतारा. <BR/><BR/>अप्रतिम, साहसिक प्रस्तुति.<BR/>आन्दोलन कामयाब हो , इसी अभिलाषा संग<BR/><BR/>चन्द्र मोहन गुप्तMumukshh Ki Rachanainhttps://www.blogger.com/profile/11100744427595711291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8731856700529955607.post-648382244772126462009-03-16T19:19:00.000+05:302009-03-16T19:19:00.000+05:30नायाब है आप कि ये बात पर मुह्फत नहीं हालत ए नजरिया...नायाब है आप कि ये बात पर मुह्फत नहीं <BR/>हालत ए नजरिया कोई नादारंदाज़ न करे <BR/>सच में <BR/>आप की इस रचना को मैंने ले लिए है आप ने ब्लॉग के लिए आप <BR/>कि आप्ती पर हटा दूंगा मैं <BR/>दनाय्बादAMBRISH MISRA ( अम्बरीष मिश्रा )https://www.blogger.com/profile/12068476262948941211noreply@blogger.com